Diwali Bonus Tax Rules 2025: क्या दिवाली बोनस पर लगता है टैक्स? जानिए इनकम टैक्स के नियम और बचत के तरीके

Diwali Bonus Tax Rules

Diwali Bonus Tax Rules: त्योहारों का मौसम शुरू होते ही कर्मचारियों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है, क्योंकि इस समय कंपनियां अपने कर्मचारियों को Diwali Bonus देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बोनस आपकी सैलरी का हिस्सा माना जाता है और इस पर भी टैक्स लगता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं कि आयकर विभाग (Income Tax Department) के नियम क्या कहते हैं और इससे टैक्स कैसे बचाया जा सकता है।

क्या दिवाली बोनस टैक्सेबल है?

दिवाली या किसी भी त्योहार के अवसर पर मिलने वाला कैश बोनस वास्तव में आपकी वेतन आय (Salary Income) का हिस्सा होता है। इनकम टैक्स एक्ट के Section 17(1) के तहत इसे “Salary” की श्रेणी में रखा गया है, इसलिए इस पर टैक्स देना अनिवार्य है।

यह बोनस आपकी सैलरी में जुड़ जाता है और उसी के अनुसार आपकी कुल वार्षिक आय पर टैक्स की गणना की जाती है। यानी अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आपको बोनस राशि पर भी 30% तक टैक्स देना पड़ सकता है।

गिफ्ट और बोनस में फर्क क्या है?

कई कंपनियां त्योहारों पर अपने कर्मचारियों को गिफ्ट हैम्पर, वाउचर या कैश बोनस देती हैं। इनकम टैक्स के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से ₹5,000 से कम मूल्य का गिफ्ट दिया गया है, तो उस पर टैक्स नहीं लगता। लेकिन अगर गिफ्ट का मूल्य ₹5,000 से अधिक है, तो उसे Perquisite (सुविधा) माना जाता है और उस पर टैक्स देय होता है।

दूसरी ओर, परिवार या रिश्तेदारों से मिलने वाले गिफ्ट टैक्स-फ्री होते हैं। लेकिन यदि किसी गैर-रिश्तेदार से आपको ₹50,000 से अधिक मूल्य का गिफ्ट मिलता है, तो उसे Income from Other Sources के अंतर्गत टैक्स योग्य माना जाएगा।

बोनस पर टैक्स कैसे लगता है

कर्मचारी को मिलने वाला बोनस TDS (Tax Deducted at Source) के तहत टैक्सेबल होता है। यानी जब कंपनी आपके वेतन में बोनस जोड़ती है, तो वह उसी समय उस पर टैक्स काटकर सरकार को जमा करती है। इसके बाद आपकी सैलरी स्लिप में बोनस की राशि और काटे गए टैक्स की जानकारी दिखाई जाती है।

अगर आपकी आयकर योग्य आय पहले से ही कम है या आपने निवेश योजनाओं (जैसे 80C, 80D, PPF, ELSS आदि) में निवेश किया है, तो आपका टैक्स भार कम हो सकता है।

कैसे बचा सकते हैं टैक्स

बोनस पर टैक्स बचाने के लिए आप वित्तीय वर्ष के अंत तक टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर सकते हैं। जैसे –
आप ₹1.5 लाख तक की राशि Section 80C के तहत PPF, EPF, NSC या ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश करके टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) पर Section 80D के तहत अतिरिक्त छूट का लाभ भी लिया जा सकता है।
इसके अलावा, NPS और हाउस लोन के ब्याज पर भी टैक्स में राहत मिल सकती है।

Conclusion: अगर आप सोच रहे हैं कि दिवाली बोनस टैक्स-फ्री है, तो ऐसा नहीं है। यह आपकी सैलरी का हिस्सा होता है और इस पर टैक्स देना जरूरी है। हालांकि, समझदारी से निवेश करके आप अपने टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं और त्योहार के बोनस का अधिक फायदा उठा सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। टैक्स से संबंधित किसी निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श अवश्य लें।

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